स्मार्ट फोन के बिना, पढ़ाई स्मार्ट नहीं
उपेक्षित व अक्षम बच्चों के अंदर हीनभावना पनप रही है, जो राष्ट्र के विकास में बाधक है। इन बच्चों को ट्यूशन व कोचिंग पर निर्भर रहना पड़ता है।
अमृतांज इंदीवर
समाज व राष्ट्र की उन्नति-अवनति की बुनियाद शिक्षा पर टिकी हुई है। जैसी शिक्षा , वैसा राष्ट्र व समाज। बिना शिक्षा के मानव पशु के समान होता है। शिक्षक सामाजिक, नैतिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक आदि विकास का नया आयाम गढ़ते हैं। बच्चों का सर्वांगीण विकास करते हैं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को ज्ञान और जीवन कौशल प्रदान करती है। शिक्षा का उद्देश्य करूणा, प्रेम, श्रेष्ठ परंपराओं का विकास करना है। वे कहते थे कि जबतक शिक्षक शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध व उतरदायी नहीं होते, तब तक अच्छी शिक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिस प्रकार पायेदार मकान बनाने के लिए पुख्ता बुनियाद की जरूरत पड़ती है, वैसे ही व्यक्ति के निर्माण में शिक्षा एवं शिक्षक की जरूरत पड़ती है।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के खेल शिक्षक अंकुश कहते हैं कि निजी विद्यालयों में आॅनलाइन पढ़ाई नियमित और सुचारू ढ़ंग से चल रही है। आडियो, विडियों, पीडीएफ आदि के जरिए बच्चों के पठन-पाठन की व्यवस्था की गई है, जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ना सीख रहे हैं। सभी शिक्षक नियमित और पूरी तल्लीनता से अपने कार्यो को पूरा कर रहे हैं। दूसरी ओर सरकारी विद्यालय के शिक्षक को केवल कागजी कार्यो में उलझाया गया है। यह स्थिति सरकार की मंशा को उजागर करती है।
कोरोना महामारी की वजह से कई महीनों से स्कूल का पठन-पाठन बिलकुल ठप पड़ा है। निजी स्कूल के विद्यार्थियों को आॅनलाइन शिक्षा दी जा रही है। सभी बच्चों को एप्प के माध्यम से विषयवार पढ़ाया जा रहा है। शिक्षक अमरेन्द्र कहते हैं कि सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के लिए वेबसाइट एवं ‘विद्या वाहिनी एप्प’ की शुरूआत की गई है। अधिकांश बच्चों के पास पैसे नहीं की वे स्मार्ट फोन खरीदे। साहेबगंज प्रखंड के हुस्सेपुर मुसहर टोली के लगभग 300 से अधिक बच्चे लाॅकडाउन के बाद शिक्षा से वंचित हो गए हैं। न इनके पास स्मार्ट फोन है, नहीं पढ़ाई स्मार्ट है। वहीं अभिभावक उमेश गिरि कहते कि लाॅकडायन की वजह से रोजी-रोटी पर भी आफत है। स्मार्ट फोन खरीदने के लिए मोटी रकम चाहिए। यह काम सरकार का था कि बच्चों की पढ़ाई से पहले व्यवस्था कर लेती। सरकारी एप्प ढाक के तीन पात साबित हो रही है। सरकारी सुविधा केवल अखबार के पन्नों पर दिखती है।
बहरहाल, ग्रामीण बच्चों की शिक्षा चैपट हो गई है। वे ट्यूशन एवं कोचिंग पर आश्रित हैं। परिजनों की माली हालत खराब है। स्मार्ट फोन के बिना पठन-पाठन बाधित है। क्या अच्छा होता कि सरकारी स्कूल में भी निजी स्कूलों की तरह एप्प के जरिए शिक्षा का अलख जगाया जाता।
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