भाषा संस्कृत के ‘भाष’ धातु से बनी है। जिसका अर्थ है-बोलाना-सुनना (अर्थात् वाणी को व्यक्त करना)। भाषा नदी की वेगवती धारा की तरह कलकल करती हुई भावभूमि पर उतरकर मानव हृदय और दिमाग में उत्पन्न सभी भावनाओं व विचारों को एक-व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़ती है। कल्पना कीजिए यदि भाषा नहीं होती तो मानव मूक-बधिर नजर आता। भाषा बहता नीर की तरह सदा प्रवाहित होती रहती है। इसके अपने गुण-स्वाभाव होतेे हैं जिसे प्रकृति (Nature) कहते हैं। पूरे विश्व में 2796 भाषाएँ एवं बोलियाँ हैं और लगभग 300 लिपियाँ। ग्रामीण क्षेत्र में प्रचलित कहावत है- ‘चार कोस पर पानी बदले आठ कोस पर वाणी।’ युग, काल, जलवायु, परिस्थितियों के अनुसार भाषा में परिवर्तन होते रहते हैं।
भाषा की परिभाषा-
1) ‘‘मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्ति ध्वनि-संकेतों का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते हैं।’’ डाॅ. श्यामसुन्दरदास
2) ‘‘जिन ध्वनि-चिह्नों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप से भाषा कहते हैं।’’- डाॅ. बाबूराम सक्सेना
मूल ध्वनियों से शब्द, शब्दों से वाक्य और वाक्यों से भाषा बनती है। सभी भाषाओं की लगभग यही संरचना प्रणाली है।
उदाहरण-क् ख् ग्..................
कमल
कमल सुंदर है।
कमल सुंदर है। इसका जन्म कीचड़ में होता है। कमल को ‘पंकज’ भी कहा जाता है।
भाषा की परिभाषा-
1) ‘‘मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्ति ध्वनि-संकेतों का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते हैं।’’ डाॅ. श्यामसुन्दरदास
2) ‘‘जिन ध्वनि-चिह्नों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप से भाषा कहते हैं।’’- डाॅ. बाबूराम सक्सेना
मूल ध्वनियों से शब्द, शब्दों से वाक्य और वाक्यों से भाषा बनती है। सभी भाषाओं की लगभग यही संरचना प्रणाली है।
उदाहरण-क् ख् ग्..................
कमल
कमल सुंदर है।
कमल सुंदर है। इसका जन्म कीचड़ में होता है। कमल को ‘पंकज’ भी कहा जाता है।
भाषा
मौख़िक लिखित सांकेतिक
सांकेतिक भाषा का महत्व भी कम नहीं आंकना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस, रेलवे सिगनल, बातचीत के दौरान इशारों-इशारों में बातें करना इत्यादि चीजें काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है।
भाषा के रूप
१. बोलियाँ २. परिनिष्ठित भाषा ३. राजभाषा ४. राष्ट्रभाषा
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